चमोली के रैंणी में आई प्राकृतिक आपदा को एक वर्ष पूरा हो गया है। इस आपदा में 205 जिंदगियां मलबे में दफन हो गई थीं, जिसमें 02 उत्तराखण्ड पुलिस के जवान भी थे। जान गंवाने वाले सभी दिवंगत आत्माओं को उत्तराखण्ड पुलिस की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि।
इस प्राकृतिक आपदा में रिस्पांस टाइम बहुत तीव्र रहा और कुछ ही देर के भीतर सेना, आईटीबीपी और एसडीआरएफ के जवान ऋषिगंगा प्रोजेक्ट, तपोवन, जोशीमठ तक हर जगह मौके पर पहुंच गए और रेस्क्यू में जुट गए। इससे लाभ यह हुआ कि टनल में फंसे मजदूरों को निकालने का काम तेजी से हो पाया और 12 जिंदगियां बचा ली गईं। राहत एवं बचाव कार्यों की मॉनिटरिंग के लिए खुद श्री Ashok Kumar IPS, DGP Sir मौके पर पहुंच गए। इस आपदा में लापता लोगों में से 85 के शव एवं 37 मानव अंग बरामद किये गये, जिनमें से 52 शवों और 01 मानव अंग की शिनाख्त अब तक हो गयी है। बरामद सभी शवों एवं मानव अंगों का डीएनए सैम्पलिंग कर संरक्षित रखा गया है। शवों एवं मानव अंगों का पूरे धार्मिक रीति रिवाजों एवं सम्मान के साथ दाह संस्कार किया गया है।
इस प्राकृतिक आपदा में उत्तराखण्ड पुलिस के जवानों ने मित्रता-सेवा-सुरक्षा, मित्र पुलिस के इस ध्येय वाक्य को बखूबी निभाया। आपदा में 85 वर्षीय सोणा देवी का भवन भी बाढ़ की जद में आकर क्षतिग्रस्त हो गया जिस कारण बुजर्ग महिला और उनकी बेटी के लिए रहने की समस्या उत्पन्न हो गयी थी। इस कठिन समय में इंस्पेक्टर हरक सिंह राणा ने आपदा प्रभावित बुजुर्ग महिला और उसकी बेटी को रहने के लिए अपना मकान भी दे दिया। जवान प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री, दवाइयां एवं अन्य आवश्यक वस्तुऐं पहुंचाने में भी लगे रहे।
जान-माल की सुरक्षा हेतु एसडीआरएफ द्वारा रैंणी गाँव के करीब ऋषिगंगा में वाटर सेंसर युक्त अर्ली वार्निंग सिस्टम लगा दिया है। पानी का स्तर बढ़ने पर इसमें लगा अलार्म तुरंत बज जाएगा, जो एक किलोमीटर तक सुनाई देगा। ताकि लोग समय पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच सकें।