देश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रोन की दस्तक के बाद भारतीय सेनाएं भी चौकन्ना हो गई हैं। भारतीय सेना बिम्सटेक देशों के साथ महामारी के प्रभाव को कम करने व राहत पर विशेष ध्यान देने के लिए एक बहु-राष्ट्र आपदा प्रबंधन अभ्यास का आयोजन कर रही है। इसकी तैयारी के लिए आज मंगलवार को हुए सम्मेलन में सैन्य बलों के प्रमुख जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने वायरस जनित महामारियों से मुकाबला करने के लिए तैयार रहने पर जोर दिया है।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने तीनों सेनाओं के लिए कहा कि हम सभी का एक साथ रहना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि बिम्सटेक देशों में किसी भी तरह की आपदा आने पर एक दूसरे का सहयोग कर सकें। अब तक विभिन्न आपदाएं आ चुकी हैं जिनमें कुछ प्राकृतिक, कुछ मानव निर्मित शामिल हैं। इन सबसे ऊपर वायरस जनित कोरोना महामारी कई रूपों में बदल रही है जिसके लिए हमें तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के नए-नए वेरिएंट आने से पता चलता है कि यह महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। इसलिए भारतीय सेना कोरोना से मुकाबला करने के उद्देश्य से पेनेक्स-21 बहु-राष्ट्र आपदा प्रबंधन अभ्यास का आयोजन कर रही है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने ‘बिम्सटेक राष्ट्रों के बीच रक्षा सहयोग’ पर सदस्य देशों की सुरक्षा और न्यायिक एजेंसियों के बीच रक्षा सहयोग की सुविधा के लिए सामान्य कानूनी ढांचे को तैयार करने और सूचना साझाकरण तंत्र की स्थापना के महत्व पर प्रकाश डाला। रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने प्रतिभागियों का ध्यान भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति के हिस्से के रूप में बिम्सटेक देशों के महत्व की ओर आकर्षित किया। उन्होंने उल्लेख किया कि एक वायरल महामारी की पृष्ठभूमि में प्राकृतिक आपदाओं का प्रबंधन जटिल जोखिम पैदा करता है जिसका मुकाबला किसी एक एजेंसी नहीं कर सकती, बल्कि इसके लिए पूरे राष्ट्र के दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि 20-22 दिसंबर को पुणे में आयोजित होने वाले बहु-राष्ट्र आपदा प्रबंधन अभ्यास में बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड और बिम्सटेक देश शामिल होंगे। इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त योजना को बढ़ावा देना और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहयोग का निर्माण करना है। बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) सामान्य हितों के क्षेत्रों में सहयोग के लिए सात देशों का एक निकाय है। उन्होंने कहा कि महामारी के बाद की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए यह अभ्यास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के साथ-साथ अन्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे जंगल की आग, अचानक बाढ़ और तूफान ने भी नए-नए सबक दिए हैं जिसमें आपदा शमन और आपदा के प्रबंधन के लिए अभ्यास और प्रक्रिया में बदलाव शामिल है। यह अभ्यास एक महामारी की पृष्ठभूमि में आपदा प्रबंधन के विषय पर निर्मित तीन परिदृश्यों पर आधारित होगा। प्रतिभागियों को आठ सिंडिकेट में विभाजित किया जाएगा, जिसमें भाग लेने वाले देशों से एक-एक सिंडिकेट और भारत से दो सिंडिकेट होंगे। यह अभ्यास प्रतिभागी देशों की क्षमता का विश्लेषण करने के साथ ही तत्काल प्रतिक्रिया के लिए मौजूदा प्रक्रिया की समीक्षा करेगा।
सेना प्रमुख ने कहा कि यह अभ्यास क्षमता विकास, प्रशिक्षण, विशेषज्ञों के क्षेत्रीय पूल सहित आपदाओं की प्रतिक्रिया के लिए तंत्र के साथ एक संगठित संरचना के विकास की सिफारिश करेगा। सैन्य-से-सैन्य सहयोग के प्रोटोकॉल पर भी चर्चा की जाएगी। साथ ही भारतीय सशस्त्र बलों और आपदा राहत उपकरणों को प्रदर्शित करने वाला यह बहु-एजेंसी अभ्यास होगा। इसमें भारतीय निजी रक्षा उद्योग की क्षमता को भी प्रदर्शित किया जायेगा ,ओ। इसका उद्घाटन बिम्सटेक देशों के सेना प्रमुख करेंगे और इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल होंगे। इसके बाद भारतीय एचएडीआर क्षमताओं के प्रदर्शन का 90 मिनट का प्रदर्शन होगा।
कार्यक्रम में तीनों सेना प्रमुखों के अलावा एकीकृत स्टाफ के प्रमुख (सीआईएससी) एयर मार्शल बीआर कृष्णा और बिम्सटेक राष्ट्रों के उच्चायुक्त और राजदूत भी शामिल हुए। रक्षा राज्य मंत्री भट्ट ने अभ्यास से सम्बंधित एक पोस्टर का भी अनावरण किया। कार्यक्रम का समापन फिक्की के सहयोग से भारतीय उद्योगों द्वारा मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों की योजना बनाने, तैयार करने और संचालन में सरकारी एजेंसियों की सहायता के लिए अपनी क्षमताओं, नवाचारों और उपलब्ध उत्पादों की शृंखला का प्रदर्शन करने के साथ होगा।
