भारत में कुपोषण एक गंभीर समस्या के रूप में हमेशा से रही है। महिलाओं से लेकर बच्चों तक किसी न किसी रूप में पोषण की कमी देखी जाती है। कुपोषण की इसी स्थिति को दूर करने के लिए पीएम मोदी द्वारा किए गए चावल फोर्टिफिकेशन की घोषणा का एक वर्ष पूरा हो गया है। इस एक वर्ष में पोषण युक्त आहार उपलब्ध कराने की दिशा में सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। चावल फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम के चरण-2 में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत कुल 151 जिले (24 राज्यों में) फोर्टिफाइड चावल उठा चुके हैं। 1 अप्रैल, 2022 से शुरू हुए इस चरण के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लगभग 6.83 LMT चावल वितरित किया गया है। केंद्र सरकार के इस महत्वाकांक्षी अभियान के तहत राशन में फोर्टिफाइड राइस के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
क्या होता है फोर्टिफाइड राइस?
फोर्टिफाइड राइस का मतलब है, पोषण युक्त चावल। इसमें आम चावल की तुलना में आयरन, विटामिन बी-12 और फॉलिक एसिड ज्यादा होता है। इसके अलावा जिंक, विटामिन ए, विटामिन बी वाले फोर्टिफाइड राइस भी तैयार किए जाते हैं। इन्हें आम चावलों में मिलाकर खाया जाता है। फूड सेफ्टी रेगुलेटर FSSAI के मुताबिक, इन्हें खाने से भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
कब शुरू हुई योजना ?
केंद्र प्रायोजित यह पायलट योजना 2019 से लेकर अगले 3 साल तक की अवधि के लिए लागू की गई थी। चावल का फोर्टिफिकेशन और उसके वितरण से संबंधित इस पायलट योजना के तहत 11 राज्यों ने अपने चिन्हित जिलों (हर राज्य में 1 जिला) में फोर्टिफाइड चावल का सफलतापूर्वक वितरण किया। इस पायलट योजना की अवधि 31 मार्च 2022 को समाप्त हो गई। इसके तहत लगभग 4.30 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल वितरित किए गए हैं।
तीन चरणों में चल रहा कार्यक्रम
चरण- I के तहत मार्च, 2022 तक पूरे भारत में आईसीडीएस (एकीकृत बाल विकास सेवाएं) व प्रधानमंत्री पोषण को कवर किया गया और लगभग 17 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड राइस वितरित किए गए। योजना का दूसरा चरण अप्रैल 2022 में शुरू हुआ है, जिसके लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से फोर्टिफाइड चावल के वितरण के दूसरे चरण के तहत 90 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल का उत्पादन पहले ही किया जा चुका है। दूसरे चरण को पूरा करने का लक्ष्य 2023 तक है। इस बीच सभी आकांक्षी और भारी मांग वाले कुल 291 जिलों को कवर किया जाएगा। इसके अलावा इसके तीसरे चरण में मार्च 2024 तक दूसरे चरण के तहत आने वाले इन जिलों के साथ बाकी जिलों को भी कवर किया जाएगा।
तेजी से बढ़ रहा राइस ब्लेंडिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर
सरकार के इस प्रयास के बीच फोर्टिफाइड राइस तैयार करने के इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी तेजी से विकास हो रहा है। देश में 15 अगस्त 2021 तक ऐसी चावल मिलों की संख्या 2,690 थी जहां ब्लेंडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर था और इनकी कुल ब्लेंडिंग क्षमता लगभग 13.67 एलएमटी थी। ऐसी मिलों की संख्या अब बढ़कर 9,000 से ज्यादा हो गई हैं, जिन्होंने फोर्टिफाइड चावल के उत्पादन के लिए ब्लेंडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया है। मौजूदा संचयी मासिक उत्पादन क्षमता लगभग 60 एलएमटी है यानी पिछले वर्ष की तुलना में 4 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
पोषण युक्त आहार के लिए उपयुक्त
पोषण युक्त आहार में विटामिन और खनिज सामग्री को बढ़ाने के लिए पोषण सुरक्षा की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। पोषक तत्वों से भरपूर इस चावल फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम को सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए पूरक रणनीति के रूप में शुरू किया गया है। यह चावल न केवल पोषण संबंधित समस्याओं से निदान के लिए आवश्यक है बल्कि कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं में भी कारगर है। फोर्टिफाइड चावल बौनापन, गलगंड, थायरोटोक्सिकोसिस और मस्तिष्क क्षति को रोकने में सहायता करता है, विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक लागत प्रभावी व टिकाऊ विकल्प है। देश में एनीमिया एवं कुपोषण से लड़ने में मदद करने के लिए चावल का फोर्टिफिकेशन दरअसल, लागत प्रभावी और सहायक रणनीति साबित हुई है। ये रणनीति दुनिया के कई भौगोलिक क्षेत्रों में लागू की गई है।