मन की बात: पीएम ने कहा-देश में बह रही है ‘अमृत धारा’, दूरदर्शन पर प्रसारित ‘स्वराज’ देखने का किया आग्रह

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पीएम मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत दुनिया भर में जश्न और भारतीयों के उत्साह का जिक्र किया, वहीं अमृत सरोवर, कुपोषण, ओर अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा पीएम ने आजादी के गुमनाम नायकों पर आधारित कार्यक्रम ‘स्वराज’ देखने का भी आग्रह किया।

देश में बह रही है ‘अमृत महोत्सव’ की ‘अमृत धारा’

अपने संबोधन के शुरुआत में पीएम मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस का जिक्र करके हुए कहा कि विशेष अवसर हर घर तिरंगा अभियान के दौरान पर हमने देश की सामूहिक शक्ति को देखा। पीएम ने हर घर तिरंगा अभियान के दौरान प्रदर्शित उत्साह और देशभक्ति की सराहना करते हुए कहा कि आजादी के इस महीने में देश के कोने-कोने में ‘अमृत महोत्सव’ की ‘अमृत धारा’ बह रही है।

पीएम ने कहा कि एक चेतना की अनुभूति हुई है। इतना बड़ा देश, इतनी विविधताएं, लेकिन जब बात तिरंगा फहराने की आई, तो हर कोई, एक ही भावना में बहता दिखाई दिया। तिरंगे के गौरव के प्रथम प्रहरी बनकर, लोग खुद आगे आए।

दूसरे देश में भी मना आजादी के 75 साल का जश्न

उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव के ये रंग, केवल भारत में ही नहीं, बल्कि, दुनिया के दूसरे देशों में भी देखने को मिले। बोत्स्वाना में स्थानीय गायकों ने भारत की आजादी के 75 साल मनाने के लिए देशभक्ति के 75 गीत गाए। इसमें और भी खास बात ये है, कि ये 75 गीत हिंदी, पंजाबी, गुजराती, बांग्ला, असमिया, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और संस्कृत जैसी भाषाओं में गाए गए। नामीबिया में भारत- नामीबिया के सांस्कृतिक-पारंपरिक संबंधों पर विशेष स्टैम्प जारी किया गया। भारत के आठ पर्वतारोहियों ने आजादी के 75 वर्ष मनाने के लिए यूरोप की दो बड़ी पर्वत चोटियों को 24 घंटे में फतह किया। इनमें से एक तो यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस है। हम कहीं भी हों, देश के लोगों की ये भावना हमें निरंतर आगे बढ़ने का हौसला देती है।

‘स्वराज’ देखने का आग्रह

इस दौरान पीएम मोदी ने बताया कि भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से स्वराज कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। पीएम ने बताया कि ‘स्वराज’ दूरदर्शन के सीरियल की स्क्रीनिंग पर गए थे। पीएम ने कि, मुझे, उसके प्रीमियर पर जाने का मौका मिला। ये आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले अनसुने नायक-नायिकाओं के प्रयासों से देश की युवा-पीढ़ी को परिचित कराने की एक बेहतरीन पहल है। दूरदर्शन पर, हर रविवार रात 9 बजे, इसका प्रसारण होता है और मुझे बताया गया कि 75 सप्ताह तक चलने वाला है। पीएम ने आग्रह किया कि आप समय निकालकर इसे खुद भी देखें और अपने घर के बच्चों को भी जरुर दिखाएं। ताकि आजादी के जन्म के इन महानायकों के प्रति, हमारे देश में, एक नई जागरूकता पैदा होगी।आजादी का अमृत महोत्सव अगले साल यानि अगस्त 2023 तक चलेगा। देश के लिए, स्वतंत्रता सेनानियों के लिए, जो लेखन-आयोजन आदि हम कर रहे थे, हमें उन्हें और आगे बढ़ाना है।

‘अमृत सरोवर’ का निर्माण बना जन आंदोलन

देश में अमृत सरोवर के निर्माण को लेकर पीएम ने कहा कि देश में ‘अमृत सरोवर’ का निर्माण जन आंदोलन बन गया है और देश भर में इसके लिए कई सराहनीय प्रयास किए गए हैं। ‘मन की बात’ में ही चार महीने पहले उन्होंने अमृत सरोवर की बात की थी। उसके बाद अलग-अलग जिलों में स्थानीय प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाएं और स्थानीय लोग ने मिलकर अमृत सरोवर के निर्माण को एक जन आंदोलन तब्दील कर दिया।

कुपोषण उन्मूलन के प्रयासों में भाग लेने का आग्रह

मन की बात जरिए पीएम मोदी ने कुपोषण पर भी अपनी बात रखी। पीएम मोदी ने लोगों से आने वाले पोषण माह में कुपोषण उन्मूलन के प्रयासों में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक जागरूकता के प्रयास कुपोषण की चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभाते हैं। दरअसल, हर साल 1 से 30 सितम्बर के बीच पोषण माह मनाते हैं। उन्होंने कहा कि कुपोषण के खिलाफ पूरे देश में अनेक रचनात्मक और विविध प्रयास किए जा रहे हैं। प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल और जन-भागीदारी भी पोषण अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बना है। देश में लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल डिवाइस देने से लेकर आंगनबाड़ी सेवाओं की पहुंच को मॉनिटर करने के लिए पोषण ट्रैकर भी लॉन्च किया गया है।

अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष की जिम्मेदारी भारत पर

इस दौरान पीएम मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मिलेट (मोटा अनाज) वर्ष का भी जिक्र किया। भारत विश्व में मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और संयुक्त राष्ट्र की इसे बढ़ावा देने की पहल को सफल बनाने की बड़ी जिम्मेदारी हम भारतवासियों के कंधों पर है। हम सबकोमिलकर इसे जन आंदोलन बनाना है और देश के लोगों में मोटे अनाज के प्रति जागरूकता भी बढ़ानी है। मोटा अनाज किसानों खासकर छोटे किसानों के लिए भी फायदेमंद है। उन्होंने अपील की ज्यादा से ज्यादा मोटा अनाज अपनायें।

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव पारित कर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट (मोटा अनाज) वर्ष घोषित किया है। भारत के इस प्रस्ताव को 70 से ज्यादा देशों का समर्थन मिला था। पीएम ने कहा कि आज दुनिया भर में मोटे अनाज के प्रति उत्साह बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज ‘मोटे अनाज’ जैसे बाजरा, जौ ज्वार को सुपरफूड की श्रेणी में रखा जा रहा है। देश में मोटे अनाज (मिलेट) को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है। इससे संबंधित अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके।

मोटे अनाज के क्षेत्र में शुरू हुए स्टार्ट अप

उन्होंने कहा कि मोटा अनाज प्राचीन काल से ही हमारी कृषि, संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा रहा है। वेदों, पुराण और तोल्कापियन में भी इसके बारे में बताया गया है। देश में लोगों के खान-पान में अलग-अलग तरह के मोटे अनाज जरूर देखने को मिलते हैं। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी, कुडू शामिल है।

पीएम ने अपने संबोधन में मोटे अनाज के क्षेत्र में शुरू हुए स्टार्ट अप का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ कुकीज, कुछ पैनकेक और डोसा बना रहे हैं। वहीं कुछ एनर्जी बार और ब्रेकफास्ट तैयार कर रहे हैं। वे इस क्षेत्र में काम करने वाले सभी लोगों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देते हैं।

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