केन्द्रीय गृह श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन -2023 के समापन सत्र को संबोधित किया

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन -2023के समापन सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि ये कॉन्फ्रेन्स बहुत महत्वपूर्ण और उचित समय पर आयोजित की गई है क्योंकि इसी वर्ष हमारे संविधान के 75 वर्ष पूरे होने वाले हैं और इसी वर्ष में हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के 3 मुख्य कानूनों- IPC, CrPC और Evidence Act को देश की संसद आमूलचूल परिवर्तन कर प्रासंगिक बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने G 20 के माध्यम से पूरी दुनिया के सामने Women-led Development की जो कल्पना रखी है, उसे सार्थक करने के लिए भारत ने शुरूआत की है और लोक सभा और विधानसभाओं में महिलाओं की 33 प्रतिशत हिस्सेदारी सुनिश्चित करने का कानून भी हाल ही में संसद ने पारित किया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में विगत 9 वर्षों में भारत कई क्षेत्रों में अपनी प्रासंगिकता बनाकर पूरी दुनिया में प्रमुख स्थान पर आसीन हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया में 11वें से 5वें स्थान पर लाने में हम सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में भारत ग्लोबल वॉर्मिंग, आतंकवाद, नार्को-टेरर लिंक आदि जैसी चुनौतियों के खिलाफ लड़ाई में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। श्री शाह ने कहा कि ऐसे समय में ये बहुत ज़रूरी है कि हमारी न्याय प्रणाली भी वैश्विक बदलावों को जाने, अपने आप को इनके अनुरूप सुसंगत करे और हमारी न्याय प्रणाली में एक बार फिर भारतीयता का मूल तत्व प्रस्थापित कर हम दुनिया को भी इस रास्ते पर ले जाने का प्रयास करें।

श्री अमित शाह ने कहा कि हमारी वर्तमान व्यवस्था में न्याय मिलने में अत्यधिक विलंब होता है, गरीब को न्याय मिलना और अधिक कठिन होता है और दोषसिद्धि का प्रमाण बहुत कम है जिसके कारण कारागारों में भी overcrowding है और under trials  की संख्या बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि Indian Penal Code की 511 धाराओं की जगह भारतीय न्याय संहिता में 356 धाराएं होंगी, जिनमें इन सभी व्यवस्थाओं को सुचारू बनाने का प्रयास किया गया है। श्री शाह ने कहा कि इसी प्रकार CrPC की 487 धाराओं की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 533 धाराएँ और Indian Evidence Act जिसमें 167 धाराएँ हैं, की जगह 170 धाराओं वाला भारतीय साक्ष्य अधिनियम लाया गया है। उन्होंने कहा कि पुराने कानूनों का उद्देश्य अंग्रेज़ी शासन को मज़बूत बनाना और व्यवस्था को ताकत देकर शासन अच्छे तरीके से चलाना था, उसका उद्देश्य दंड देना था, न्याय करना नहीं। श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए इन तीनों नए क्रिमिनल लॉ का उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि हर नागरिक को न्याय देना है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि न्याय एक प्रकार से umbrella term है। जब हम न्याय कहते हैं तो बहुत बड़े समुदाय के लिए उस शब्द का प्रयोग होता है और उसमें आरोपी और अभियुक्त दोनों की चिंता शामिल होती है। श्री शाह ने कहा कि न्याय और दंड को हमारीभारतीय न्याय व्यवस्था में बहुत अच्छे तरीके से व्याख्‍यायित किया गया है, दंड अपने आप में परिपूर्ण कल्पना नहीं है, लेकिन न्याय अपने आप में एक परिपूर्ण कल्पना है। उन्होंने कहा कि इन कानूनोंमें कोर्ट के स्ट्रक्चर में भी काफी बदलाव किए हैं। क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में देशभर में सात प्रकार के अलग-अलग मजिस्ट्रेट का प्रावधान है, लेकिन क्रिमिनल जस्टिस सिस्‍टममें अब चार ही प्रकार के न्यायाधीश होंगे। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को युक्तिसंगत बनाया गया है, समयसीमा निर्धारित की गई है और स्थगनों की संख्या भी तय कर दी गई है। समरी ट्रायल को और वाइडर बनाया गया है, 3 वर्ष तक की सजा के मामलों मेंपहली सुनवाई के 60 दिन के अंदर ही पुलिस को अपना चालान कोर्ट के सामने कंपलसरी रूप से रखना पड़ेगा औरआरोपपत्र दायर होने के बाद जांच के लिए 90 दिन से ज्यादासमय नहीं मिलेगा। इसके साथ-साथ आरोप तय करने से पहले डिस्चार्ज एप्लीकेशन के समय को भी 60 दिन कर दिया गया है, इसके बाद आप डिस्चार्ज एप्लीकेशन नहीं दे सकते। बहस पूरी होने के बाद 30 दिनों के अंदर ही न्यायाधीश को आदेश देना होगा, जो अधिक से अधिक 30 दिन तक एक्सटेंड हो सकता है। श्री शाह ने कहा कि सिविल सर्वेंट के प्रॉसीक्यूशन के लिए कई दिनों तक भी उसकी अनुमति नहीं मिलती, लेकिन हमने यह प्रावधान कर दिया है कि 120 दिन में अगर परमिशन नहीं आई है तो परमीशन ग्रांटेड मानी जाएगी और प्रॉसीक्यूशन शुरू हो जाएगा।

श्री अमित शाह ने कहा कि इन कानूनों में अपराधियों की अनुपस्थिति की स्थिति में भी मुकदमा चलाने का प्रावधान कर रहे हैं,बाद में वह हाई कोर्ट में इसे चैलेंज कर फिर से ट्रायल के लिए नीचली अदालत में जा सकते हैं।उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए नए कानूनों में भी कई सारे प्रोविजन किए हैं। उन्होंने कहा कि दस्तावेजों की परिभाषा में बहुत विस्तार किया है, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल रिकॉर्ड, डिजिटल डिवाइस पर उपलब्ध मैसेज, एसएमएस से लेकर ईमेल तक हर प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक तरीके से समन भी अब कानूनी रूप से वैध माने जाएंगे और वॉरंट भी वैध माने जाएंगे। श्री शाह ने कहा कि शिकायतकर्ता और गवाहों का परीक्षण ऑनलाइन हो पाएगा,साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग भी ऑनलाइन कर पाएंगे और पूरी अपीलीय कार्यवाही भी हम ऑनलाइन कानूनन कर रहे हैं। सभी पुलिस थानों और न्यायालयों मेंएक इलेक्ट्रॉनिक रजिस्टर रखकर इसे तर्कसंगत बनाने का सारा प्रोविजन भी अब नियमों में आएगा। उन्होंने कहा कि 7 साल या उससे ज्यादा सजा के प्रावधान वाले अपराधों वाली धाराओं की जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट और विजिट को हम कंपलसरी करने जा रहे हैं। साइंटिफिक एविडेंस के कारणअब हम दोष सिद्धि का प्रमाण बढ़ा पाएंगे और प्रॉसीक्यूशन को एक मजबूती मिलेगी।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इन सबको सुचारू रूप सेआगे ले जाने के लिए भारत सरकार का गृह मंत्रालय 2018 से ICJS यानी Inter Operable Criminal Justice System केconcept पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके तहत एक चरण पूरा हो गया है,Crime and Criminal Tracking Network & Systems (CCTNS)के तहत देश के 98% थानों को ऑनलाइन कर सारे legacy डाटा को ऑनलाइन करने का काम समाप्त हो चुका है। अब E-Prosecution, E-Prison, E-Forensics और E-Court की दिशा में आगे बढ़ना, जिसके लिए 3500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 32 करोड़ से अधिकडाटा को ऑनलाइन कर दिया गया है, सीआईएस के 14 करोड़ से अधिक निचली अदालत के डाटा को भी ऑनलाइन कर दिया गया है, 2 करोड़ कैदियों और 1 करोड़ से अधिक प्रॉसीक्यूशन के डेटा को भी ऑनलाइन कर दिया गया है। इसके अलावा 17 लाख से अधिक फोरेंसिक डेटा को भी ऑनलाइन कर दिया गया है।

श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने E-Courts के लिए लगभग7000 करोड़ रूपए आवंटित किए हैं। इसके लिए हमने एक इंटर पिलर इंटीग्रेशन बनाने काकाम भी किया है। उन्होंने कहा कि जब अदालतों और प्रॉसीक्यूशन एजेंसियों का तकनीकी अपग्रेडेशन हो जाएगा, तब ये सारी व्यवस्थाएं इसके साथ आईसीजीएस के माध्यम से जुड़ जाएंगी। श्री शाह ने कहा कि ये तीनों कानून हमारी न्याय प्रक्रिया को बहुत लंबे समय तक आमूलचूल परिवर्तन कर सिटिजन सेंट्रिक बनाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का मानना है कि कोई भी कानून तभी अच्छा बन सकता है, जब स्टेकहोल्डर से मन से कंसल्टेशन किया गया हो।

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