भारत में अब खेती केवल दो जून की रोटी वाली खेती नहीं रही बल्कि आज के युग की खेती एक उद्योग की तरह फल-फूल रही है। यह करोड़ों लोगों का पेट पाल रही है। दरअसल, बड़े-बड़े उद्योग आज खेती पर ही निर्भर हैं। चूंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए इसकी दो-तिहाई जनसंख्या खेती कार्यों में संलग्न है। यहां खेती एक प्राथमिक क्रिया है जो हमारे लिए अधिकांश खाद्यान्न उत्पन्न करती है। खाद्यान्नों के अतिरिक्त यह विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चा माल भी पैदा करती है। यूं तो तमाम उत्पाद भारत से दूसरे देशों में निर्यात किए जाते हैं, लेकिन यहां कपास के बारे में बताना चाहेंगे। दरअसल, इन दिनों भारत ने जैविक कपास उत्पादन में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। जी हां, देश में जैविक कपास का उत्पादन अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। आइए अब विस्तार से जानते हैं कि आखिर यह कैसे संभव हुआ…
देश में जैविक कपास का उत्पादन उच्चतम स्तर पर
देश में जैविक कपास का उत्पादन उच्चतम स्तर पर है। जैविक कपास के उत्पादन में 2016 -17 से 423 % की वृद्धि हुई है। बताना चाहेंगे कि 2016-17 में यह 1.55 लाख मीट्रिक टन था जो 2020-21 में 8.11 लाख मीट्रिक टन हो गया। दरअसल, यह केंद्र सरकार के प्रयासों और कपास की खेती से जुड़े किसानों की मेहनत का फल है। कपास किसानों को कपास के खेती के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रोत्साहित करती रही है जिसका नतीजा यह हुआ कि जैविक कपास का उत्पादन देश में अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
कपास की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने किए कई उपाय
देश में कपास की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने कई उपाय किए हैं। कपास की उत्पादकता बढ़ाने हेतु भारत उचित पहलकदमी करने पर काम कर रहा है, जैसे सघन खेती प्रणाली (एचडीपीएस), पानी की बूंद-बूंद से सिंचाई (ड्रिप इरीगेशन), वर्षा जल संचयन, फसलों के बीच फसलों की पैदावार, खेती के बेहतरीन तौर-तरीकों को प्रोत्साहन और कपास की खेती का मशीनीकरण। इसके अलावा किसानों को प्राकृतिक तौर-तरीकों के कारगर इस्तेमाल और आधुनिक वैज्ञानिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। दूसरे देशों से साफ-सुथरा कपास मंगाने के बजाय घरेलू कपास उद्योग को कपास अनुसंधान संस्थानों और किसानों के साथ मिलकर कपास की पैदावार के लिए ज्यादा कारगर तरीकों की रणनीति तैयार करने के लिए भी प्रोत्साहन मिल रहा है। संभवत: इन तमाम उपायों से कपास कम खराब होगा और किसानों की आय में भी सुधार होगा।
दुनिया में बेहतर किस्म के कपास की आपूर्ति करने वाला अकेला देश होगा भारत
देश में इस बदलती तस्वीर को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि पूरी कपास उपादेयता श्रृंखला यानि खेत से मिल तक की सभी गतिविधियों के सामूहिक प्रयासों से आने वाले वर्षों में भारत न सिर्फ कपास सम्बंधी हर क्षेत्र में ”आत्मनिर्भर” बन जाएगा, बल्कि दुनिया में बेहतर किस्म के कपास की आपूर्ति करने वाला अकेला देश हो जाएगा।
भारत में सबसे ज्यादा होती है रकबे पर कपास की खेती
दुनिया में भारत में सबसे ज्यादा रकबे पर कपास की खेती की जाती है। यहां 133.41 लाख हेक्टेयर में कपास उगाया जाता है, यानि विश्व भर के 319.81 लाख हेक्टेयर रकबे से 42% अधिक रकबे पर कपास की पैदावार होती है। भारत में लगभग 67% कपास की पैदावार बारिश पर निर्भर क्षेत्रों में और 33% कपास की पैदावार सिंचित क्षेत्रों में होती है।
विश्व में भारत कपास का सबसे बड़ा उत्पादक देश
विश्व में भारत कपास का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में 360 लाख गांठ यानि 6.12 मिलियन मीट्रिक टन कपास पैदा होती है, जो पूरी दुनिया में पैदा होने वाले कपास का करीब 25% है। भारत, विश्व में कपास का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश भी है। यहां एक अनुमान के अनुसार 303 लाख गांठों की खपत हो जाती है।
साठ लाख 50 हजार से अधिक किसान सीधे कपास की खेती से जुड़े
यह करीब साठ लाख 50 हजार कपास किसानों को रोजी-रोटी देता है। वहीं लगभग पांच करोड़ लोग कपास प्रसंस्करण और व्यापार जैसी सम्बंधित गतिविधियों में लगे हुए हैं। ये सभी आज कपास की खेती कर न केवल अपना पेट पाल रहे हैं अपितु इस क्षेत्र में अच्छी कमाई भी कर रहे हैं।
भारत से किन-किन देशों को करता है कपास का निर्यात
भारत से कपास का निर्यात बांग्लादेश, चीन, वियतनाम, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, श्रीलंका और अन्य देशों को निर्यात किया गया है। क्योंकि इन पड़ोसी देशों में कपास का उत्पादन कम होता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
कपास का एक इकोसिस्टम भी होगा बताना चाहेंगे कि अब कपास का एक इको-सिस्टम भी होगा, जिससे उन लोगों तक कपास पहुंचाने का रास्ता बनाया जाएगा, जिन्हें उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। याद हो, भारत ने कपास कात-कातकर ही आजादी हासिल की। इसलिए भी आज हम प्रतिबद्ध हैं कि कपास कातकर ही हम सबके भविष्य को समृद्ध करेंगे। इसलिए भी वर्तमान केंद्र सरकार इस बात को समझते हुए कपास की खेती पर अधिक जोर दे रही है।
कम जमीन में भी की जा रही कपास की खेती
लघु किसान भी कपास की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। दरअसल, भारत के जैविक कपास की डिमांड आज देश-दुनिया में बढ़ गई है और भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो इस मांग की पूर्ति कर सकता है। दरअसल, भारत को कपास के फूल का मूल स्थान माना जाता है और सूती कपड़ा उद्योग में कपास एक मुख्य कच्चा माल है। ऐसे में लघु किसान इस खेती को अपनाकर अपनी कमाई में भी इजाफा कर रहे हैं।
2025-26 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर के कपास का निर्यात लक्ष्य
कपास क्षेत्र में के विकास के लिए सरकार और उद्योग को मिलकर काम करने की जरूरत है। वक्त आ गया है कि हम 350 अरब अमेरिकी डॉलर वाले बाजार तक पहुंचने जैसी ज्यादा बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं, जिसमें वर्ष 2025-26 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर के कपास का निर्यात लक्ष्य भी शामिल है।