केंद्र सरकार ने रॉ जूट की बढ़ाई एमएसपी

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केंद्र सरकार लगातार किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में बड़े कदम उठा रही है। इस बार केंद्र सरकार ने जूट उत्पादक किसानों को बड़ी खुशखबरी दी है। सरकार ने कच्चे जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2022-23 के लिये 250 रुपये बढ़ाकर 4,750 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
अनुमोदन कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों पर पीएम मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2022-23 सीजन के लिए रॉ जूट के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) को मंजूरी दे दी।

रॉ जूट की एमएसपी में 250 रुपये की वृद्धि

कच्चे जूट का एमएसपी (टीडी5 ग्रेड के बराबर टीडीएन3) 2022-23 सीजन के लिए 4750/- रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 250 रुपये की वृद्धि हुई है। यह उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर 60.53 प्रतिशत की वापसी सुनिश्चित करेगा। 2022-23 सीज़न के लिए कच्चे जूट का घोषित एमएसपी बजट 2018-19 में सरकार द्वारा घोषित उत्पादन की अखिल भारतीय भारांश औसत लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने के सिद्धांत के अनुरूप है।

जूट फाइबर को प्रोत्साहित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

यह लाभ के मार्जिन के रूप में न्यूनतम 50 प्रतिशत का आश्वासन देता है। यह जूट उत्पादकों को बेहतर पारिश्रमिक रिटर्न सुनिश्चित करने और गुणवत्ता वाले जूट फाइबर को प्रोत्साहित करने की दिशा में महत्वपूर्ण और प्रगतिशील कदमों में से एक है।

भारतीय पटसन निगम (जेसीआई) मूल्य समर्थन संचालन करने के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में जारी रहेगा। इस तरह के संचालन में किसी प्रकार का नुकसान होने पर केंद्र सरकार उसकी पूरी भरपाई करेगी।

60 प्रतिशत जूट का उत्पादन भारत में

बता दें कि पूरी दुनिया के लगभग 60 प्रतिशत जूट का उत्पादन भारत में होता है। देश के बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम और उत्तर प्रदेश के कुछ तराई वाले भागों में जूट की खेती होती है। भारत में जूट के उत्पादन में पश्चिम बंगाल का प्रथम स्थान है। यहां देश की कुल उपज का 73.95 प्रतिशत जूट उत्पन्न होता है। दूसरा स्थान बिहार (13.02 प्रतिशत) है। देश में जूट के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार कई पहल कर रही है। इनसे से ही एक है- केन्द्र सरकार ने जूट के थैलों से होने वाली अनिवार्य पैकेजिंग के मानदंड में विस्तार किया और 100 प्रतिशत खाद्यान और 20 प्रतिशत चीनी अलग-अलग प्रकार के जूट के थैलों में पैक की जाएगी। इससे किसानों और इसके निर्माण में लगे मजदूरों को लाभ होगा।

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