किसी भी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को सभी तरह की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वन स्टॉप सेंटर की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में देश की ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को मदद लिए इसके लिए अब देश में 300 और वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
देश में 704 वन स्टॉप सेंटर काम कर रहे हैं और महिला हेल्पलाइन के सहयोग से 70 लाख महिलाओं को केंद्र और राज्यों, दोनों सरकारों से संयुक्त रूप से मदद मिली है। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने आगे बताया कि जल्द ही 300 और वन स्टॉप सेंटर खोले जाएंगे। वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) का उद्देश्य निजी और सार्वजनिक स्थानों पर परिवार के अंदर, समुदाय और कार्यस्थल पर हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सहायता करना है।
किन्हें मिलती है सहायता
हिंसा से पीड़ित महिलायें, जिसमें 18 वर्ष से कम आयु की बालिकायें भी शामिल है, उन्हें सहायता प्रदान की जाती है। 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं की सहायता के लिए लैंगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के अंतर्गत गठित संस्थाओं को सेन्टर से जोड़ा गया है। मंत्रालय ने इस योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 2015 में की थी, तब से अब तक तीन लाख से अधिक महिलाओं को इस केंद्र से सहायता मिली है।
योजना का उद्देश्य
किसी तरह की हिंसा जैसे घरेलू हिंसा, लैंगिग हिसा, एसिड अटैक, दुष्कर्म, बाल शोषण, बाल विवाह जैसे मामलों में शिकार पीड़ित महिला की सहायता के लिए यह सेंटर खोला गया है। एक ही छत के नीचे हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही स्थान पर अस्थायी आश्रय, पुलिस-डेस्क, कानूनी सहायता, चिकित्सा एवं काउन्सलिंग की सुविधा वन स्टॉप सेन्टर में ही उपलब्ध करायी जाती है।
महिला संबंधित योजनाओं के लिए 1.71 लाख करोड़ रुपये
वहीं मुंबई में पश्चिमी क्षेत्र के राज्यों और हितधारकों के क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि सरकार बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के साथ चुनौतियों का समाधान करके महिलाओं के स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय बजट 2022-23 का उल्लेख करते हुए बताया कि महिलाओं से संबंधित कार्यक्रमों के लिए आवंटन में 14% की वृद्धि की गई है। केंद्रीय बजट 2022-23 के तहत महिला संबंधित योजनाओं के लिए 1.71 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
लड़कियों का ड्रॉप आउट हुआ कम
एक साल के भीतर 4 लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनाए गए हैं। उन्होंने याद दिलाया कि लड़कियों के लिए अलग शौचालय के अभाव में लड़कियों का ड्रॉप आउट अनुपात (पढ़ाई के बीच ही में स्कूल छोड़ने का अनुपात) पहले 23% था।
आयुष्मान भारत में महिलाओं की संख्या 45 करोड़
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि आयुष्मान भारत ने पूरे देश में स्वास्थ्य सेवा का दायरा बढ़ाया है और इसमें महिलाओं की संख्या 45 करोड़ तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि “पहले यह कहा जाता था कि सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं के कारण महिलाएं स्तन कैंसर या गर्दन के कैंसर आदि के इलाज के लिए सामने नहीं आएंगी। लेकिन, ऐसे संदेह गलत साबित हुए हैं और लगभग 7 करोड़ महिलाओं ने खुद की जांच कराई है और जिन्हें जरूरत है उनका इलाज चल रहा है।”