पिछले तीन साल में भारतीय खिलौना बाजार में जबरदस्त तेजी आई है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार के प्रयासों से ही यह करिश्मा संभव हुआ है। दरअसल, इस दौरान केंद्र सरकार ने देश में खिलौना बाजार से जुड़े तमाम खिलौना निर्माताओं और कारोबारियों को प्रोत्साहित किया है। केवल इतना ही नहीं भारत सरकार ने देश की जनता को घरेलू खिलौनों को खरीदने के लिए भी प्रोत्साहित किया। इस चलते एक और भारत में खिलौनों का निर्यात बढ़ा तो वहीं खिलौनों का आयात भी घट गया।
खिलौना निर्यात में हुई 61.39 % की बढ़ोतरी
जानाकारी के मुताबिक एचएस कोड 9503, 9504 एवं 9503 के लिए, खिलौना निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 के 202 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 326 मिलियन डॉलर रहा जो 61.39 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दर्शाता है। एचएस कोड 9503 के लिए, खिलौना निर्यात बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 के 109 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बढ़ कर 177 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
खिलौना आयात में हुई 70.35% की कमी
वहीं देश में खिलौनों के आयात की बात करें तो जो खिलौने भारत विदेश से खरीदता था अब उसमें भारी कमी आई है। एचएस कोड 9503, 9504 एवं 9503 के लिए भारत में खिलौनों का आयात वित्त वर्ष 2018-19 के 371 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 110 मिलियन डॉलर रहा जो 70.35 प्रतिशत की कमी दर्शाता है। एचएस कोड 9503 के लिए, खिलौना आयात में और तेजी से कमी आई है जो वित्त वर्ष 2018-19 के 304 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान घट कर 36 मिलियन डॉलर पर आ गया। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ-साथ भारत का खिलौना बाजार भी तेजी से फल-फूल रहा है। महज तीन साल के भीतर भारत के खिलौना बाजार में यह तेजी आई है।
वैश्विक बाजार में भारतीय खिलौना उद्योग की हिस्सेदारी
भारतीय खिलौना उद्योग का अनुमान 1.5 अरब डॉलर है जो वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का 0.5% है। भारत में खिलौना निर्माता ज्यादातर एनसीआर, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और मध्य भारतीय राज्यों के समूहों में स्थित हैं। बाजार का 90% हिस्सा असंगठित है। वहीं MSME क्षेत्र से करीब 4,000 खिलौना उद्योग इकाइयों जुड़ी हैं। माना जाता है कि भारत में खिलौना उद्योग में 2024 तक 2-3 अरब डॉलर तक बढ़ने की क्षमता है। भारतीय खिलौना उद्योग वैश्विक उद्योग के आकार का केवल 0.5% है जो एक बड़े संभावित विकास अवसर का संकेत देता है। वैश्विक औसत 5% के मुकाबले घरेलू खिलौनों की मांग 10-15% बढ़ने का अनुमान है। इसी दिशा में भारत उम्मीद से भी ज्यादा तेजी से काम कर रहा है।
PM मोदी की भारतीय खिलौना स्टोरी की रीब्रांडिंग की अपील कर गई काम
ज्ञात हो, अगस्त 2020 में ‘मन की बात’ के अपने संबोधन में पीएम मोदी ने ‘भारतीय खिलौना स्टोरी की रीब्रांडिंग’ की अपील की थी और घरेलू डिजाइनिंग को सुदृढ़ बनाने तथा भारत को खिलौनों के लिए एक वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में बनाने के लिए बच्चों के लिए सही प्रकार के खिलौनों की उपलब्धता, खिलौनों का उपयोग सीखने के संसाधन के रूप में करने, भारतीय मूल्य प्रणाली, भारतीय इतिहास और संस्कृति पर आधारित खिलौनों की डिजाइनिंग करने पर जोर दिया था।
तत्पश्चात भारतीय खिलौना उद्योग को सरकार की कई सारी युक्तियों से लाभ पहुंचा है और इसके परिणाम ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम की सफलता प्रदर्शित करती है। उन्होंने यह भी कहा कि आयात मुख्य रूप से खिलौनों के कुछ कंपोनेंट तक सीमित रह गए।