पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत IAC ‘विक्रांत’ को राष्ट्र को सौंपेंगे पीएम मोदी, जानें क्या है खासियत

National News

रक्षा आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में भारत दिनों-दिन तेजी से प्रगति कर रहा है। सेना के आधुनिकरण से लेकर नई तकनीकों से लैस हथियरों और उपकरणों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है। रक्षा आत्मनिर्भरता में लम्बी छलांग लगते हुए भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है और भारतीय नौसेना के लिए 2 सितम्बर 2022 का दिन एतिहासिक होने वाला है क्योंकि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत पीएम मोदी भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (IAC) ‘विक्रांत’ राष्ट्र को सौंपेंगे।

आधुनिक तकनीक से लैस है IAC ‘विक्रांत’

यह जहाज स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) (नौसेना) के अलावा मिग-29के लड़ाकू जेट, कामोव-31, एमएच-60आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों से युक्त 30 विमानों से युक्त एयर विंग का संचालन करने में सक्षम होगा। शॉर्ट टेक ऑफ बट अरेस्ट रिकवरी (STOBAR) नामक एक नोवेल एयरक्राफ्ट-ऑपरेशन मोड का उपयोग करते हुए, यह युद्धपोत विमान को लॉन्च करने के लिए स्की-जंप से लैस है, और जहाज पर उनकी रिकवरी के लिए तीन ‘अरेस्टर वायर’ का एक सेट शामिल है।

स्वदेशी सामग्री का हुआ पूरा उपयोग

भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर की स्वदेशी डिजाइन और 76% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया इनिशिएटिव’ के लिए बड़ा उदाहरण है। इससे भारत की स्वदेशी डिजाइन और निर्माण क्षमताओं में वृद्धि हुई है। भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस सहित उन देशों के चुनिंदा क्लबों में शामिल हो गया है, जिन्होंने 40 हजार टन से अधिक के विमान वाहक का डिजाइन और निर्माण किया है।

बढ़ेगी भारतीय नौसेना की ताकत

आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर राष्ट्र को मिलने वाला देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत IAC‘विक्रांत’ के भारतीय नौसेना में शामिल होने से नौसेना की ताकत में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिलेगी। देश के पहले 40 हजार टन वजनी स्वदेशी विमान वाहक IAC विक्रांत ने चारों समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। दिसम्बर, 2020 में CSL की तरफ से किए बेसिन ट्रायल में विमानवाहक पोत पूरी तरह खरा उतरा था। पहला परीक्षण पिछले साल यानि अगस्त 2021 को, दूसरा अक्टूबर 2021 को और तीसरा इसी साल जनवरी 2022 को पूरा किया जा चुका है। ‘विक्रांत’ का आखिरी और चौथा समुद्री परीक्षण मई में शुरू किया गया था, जो सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

दुनिया की शीर्ष तीन नौसेनाओं में शामिल

इसके भारतीय बेड़े में शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना आने वाले वर्षों में दुनिया की शीर्ष तीन नौसेनाओं में से एक बन जाएगी। यह स्वदेशी विमान वाहक ‘आत्मनिर्भर भारत’ की एक शानदार मिसाल है। इसके निर्माण में 20 हजार करोड़ रुपए की लागत आई है। इस परियोजना को रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच अनुबंध के तीन चरणों में आगे बढ़ाया गया है, जो क्रमशः मई 2007, दिसंबर 2014 और अक्टूबर 2019 में हुआ। नौसेना डिजाइन निदेशालय ने इसका डिजाइन 3डी वर्चुअल रियलिटी मॉडल और उन्नत इंजीनियरिंग सॉफ्टवेयर के उपयोग से तैयार किया है।

नौसेना को मिलेगी पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता

इस आधुनिक विमान वाहक पोत के निर्माण के दौरान डिजाइन बदलकर वजन 37 हजार 500 टन से बढ़ाकर 40 हजार टन से अधिक कर दिया गया है। इसी तरह जहाज की लंबाई 252 मीटर से बढ़ाकर 262 मीटर की गई। यह 60 मीटर चौड़ा है। यह जहाज कुल 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइन से संचालित है और इसकी अधिकतम गति 28 समुद्री मील है। इस पर लगभग तीस विमान एक साथ ले जाए जा सकते हैं, जिसमें स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा मिग-29के लड़ाकू जेट, कामोव-31, एमएच-60आर हेलीकॉप्टर होंगे। इसमें कामोव का-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग लगाया गया है, जिससे यह स्वदेशी जहाज नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा।

क्यों रखा गया ‘विक्रांत’ नाम

युद्धपोत विक्रांत नाम के पोत ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) की नौसैनिक घेराबंदी करने में अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए विक्रांत का नाम जारी रखने के लिए इसी नाम से दूसरा युद्धपोत स्वदेशी तौर पर बनाया गया है। IAS विक्रांत को नौसेना को सौंपे जाने के साथ ही भारत ऐसे देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास स्वदेशी रूप से विमान वाहक डिजाइन और निर्माण करने की विशिष्ट क्षमता मौजूद है। इस स्वदेशी विमान वाहक को जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा, जो हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की स्थिति और समुद्र में नौसेना की कार्य क्षमता को बढ़ावा देगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *