प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्‍व की पहली चीता पुनर्वास परियोजना की शुरूआत की, नामीबिया से लाये गये चीतों को मध्‍यप्रदेश के कूनो राष्‍ट्रीय उद्यान में छोड़ा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को छोडा। भारत में चीता विलुप्त हो गया था। आठ चीतों को विश्व की सबसे बडी अंतर-महाद्वीपीय स्थानान्तरण परियोजना के तहत भारत लाया गया है। इनमें पांच मादा और तीन नर चीता हैं। श्री मोदी ने कुनो नेशनल पार्क में दो अलग-अलग जगहों पर चीतों को छोड़ा। उन्होंने इस अवसर पर चीता मित्र, चीता पुनर्वास प्रबंधन समूह और विद्यार्थियों से भी बातचीत की। प्रधानमंत्री द्वारा जंगली चीतों को प्राकृतिक वास में छोडा जाना भारत के वन्य जीवन और इनके प्राकृतिक ठिकानों को पुनर्जीवित करने के उनके प्रयासों का हिस्सा है। 1952 में चीता को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
प्रधानमंत्री की पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता के अनुरूप, देश में पर्यावरण-विकास और पर्यटन गतिविधियों से स्थानीय लोगों के लिए आजीविका के अवसर बढेंगे। चीतों का देश में पुनर्वास करना ऐतिहासिक है और पिछले आठ वर्षों में स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने के उपायों की एक लंबी श्रृंखला का हिस्सा है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी का भारत पूरी दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी अलग-अलग क्षेत्र नहीं हैं। यह एक-दूसरे से जुडे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में जब भी प्रकृति और पर्यावरण की बात होती है तो इसमें सतत विकास का जिक्र जरूर होता है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि भारत के प्रकृति-प्रेमियों की चेतना पूरी जागृत हो चुकी है। श्री मोदी ने इस अवसर पर देशवासियो को बधाई दी और नामीबिया सरकार को धन्यवाद दिया जिनके सहयोग से दशकों बाद चीता भारत की धरती पर लौटा है।
आजादी का अमृतकाल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने पांच प्रण को याद किया और भारत की धरोहर पर गर्व करने तथा गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही 1952 में भारत से चीते विलुप्त हो गए थे, लेकिन 70 साल में भी उनके पुनर्वास के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। उन्होंने खुशी व्यक्त की कि अमृतकाल में भारत ने नई ऊर्जा के साथ चीतों को फिर से बसाना शुरू किया है।
इस पुनर्वास को सफल बनाने के लिए वर्षों की कड़ी मेहनत की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने ऐसे क्षेत्र के लिए ऊर्जा लगाई जिसकी ओर महत्व नहीं दिया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि चीता पुनर्वास के लिए कार्ययोजना तैयार की गई और भारत के प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों ने दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के विशेषज्ञों के साथ मिलकर व्यापक शोध किया। उन्होंने कहा कि कूनो के राष्ट्रीय उद्यान में जब चीते दौडेंगे तो पर्यावरण के अनुकूल माहौल बनेगा और जैव विविधता में भी वृद्धि होगी। क्षेत्र में पर्यटन को बढावा मिलेगा जिसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसर सृजन होंगे। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से सयंम रखने की अपील की क्योंकि राष्ट्रीय उद्यान में छोडे गए चीते अभी इस क्षेत्र से अंजान हैं और यहां के वातावरण में ढलने में समय लगेगा। उनको देखने के लिए कुछ महीने का समय लगेगा।
सरकार के कार्यों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में सरकार बनने के बाद देश में लगभग 250 नए संरक्षित क्षेत्र जोड़े गए हैं। उन्होंने कहा कि एशियाई शेरों की संख्या भी बढी है।

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