आज भी प्रदेशभर में भाई दूज का त्योहार परंपरानुसार मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। भाई दूज का पावन पर्व यमुना और उनके भाई यमराज व शनिदेव से जुड़ा है। यमुनोत्री धाम में परंपरा है कि भाई दूज के अवसर पर यमुना के भाई शनि देव की डोली को यमुनोत्री धाम पहुंचाया जाता है। जहां शनि देव और मां यमुना की पूजा-अर्चना होती है, जिसके बाद यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। मां यमुना भाई शनि देव की डोली के साथ खरसाली लायी जाती है। इस पावन पर्व पर यमुनोत्री धाम में स्नान एवं पूजा-अर्चना का खास महत्व है। भाई-बहन के इस पर्व भाई दूज की शुरुआत मां यमुना ने की थी। यमराज, शनिदेव, भद्रा और यमुना सूर्यदेव की संतानें हैं। यह माना जाता है कि यमराज ने अपनी बहन की इच्छा अनुसार वचन दिया था कि प्रत्येक वर्ष इसी दिन वह अपनी बहन से मिलने आएंगे। साथ ही यह भी कहा था कि जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उससे तिलक करवाएगा, उस भाई को यमराज लंबी उम्र का आशीर्वाद देंगे। यमराज और मां यमुना ने भाई दूज की शुरुआत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को थी। इस कारण इस दिन को यम द्वितीया भी कहा जाता है। भाई दूज पर्व पर यमुना में स्नान व पूजा-अर्चना करने से यम यातना से मुक्ति मिलती है।
