उप वन संरक्षक रुद्रप्रयाग के अनुरोध के क्रम में पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग द्वारा दिये गये निर्देशों पर आज प्रभारी अग्निशमन अधिकारी रुद्रप्रयाग के नेतृत्व मे अग्निशमन विभाग की टीम द्वारा वन विभाग की टीमों से समन्वय बनाकर जनपद के मौण गांव, ग्राम पाजंणा और ग्राम लमेरी मे जाकर आने वाले कुछ समय या दिनो मे प्रारम्भ होने वाले वनाग्नि (forest fire ) को मध्य नजर रखते हुए एक जन जागरुकता अभियान चलाया गया जिसमे इन गाँवो के प्रधान कार्यकारिणी सदस्य व गाँव के लोगों को जंगल की आग के बारे मे तथा जंगल की आग लगने के कारण व उन से रोकथाम के बारे मे चर्चा कर जागरुकता अभियान चलाया गया तथा बताया गया कि जंगल में लगने वाली आग जैव विविधता और जंगल की उत्पादन क्षमता में कमी का मुख्य कारण होती है।
जंगल में आग लगने के कुछ खास कारण हैं-
- मजदूरों द्वारा शहद, साल के बीज जैसे कुछ उत्पादों को इकट्ठा करने के लिए जानबूझकर आग का लगाया जाना।
- कुछ मामलों में जंगल में काम कर रहे मजदूरों, वहां से गुजरने वाले लोगों या चरवाहों द्वारा गलती से जलती हुई कोई चीजें छोड़ दिया जाना।
- आस-पास के लोगों द्वारा दुर्भावना से आग लगाना।
- जानवरों के लिए ताजी घास उपलब्ध कराने के लिए आग लगाना।
आग से बचाव के तरीके-
- पहले की तरह अप्रैल, मई और जून के महीनों में आग पर निगरानी रखने के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नियुक्त किए जाने चाहिए।
- सीमित मात्रा में घास-फूस जलाने की सीमा रेखा का स्पष्ट रेखांकन जो किया जाये।
- आग जलाने के काम को नियन्त्रित किया जाना चाहिए जिससे जंगल में पेड़ से गिरी चीड़ के पेड़ की पत्तियां इकट्ठी न होने पायें।
- वन विभाग के कर्मचारियों को वायरलैस के जरिए संचार के बेहतर साधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि वे जंगल की आग से निपटने और अनधिकृत रूप से पेड़ों को काटने के खिलाफ तुरन्त कार्रवाही कर सकें, तथा इसकी सूचना नजदीकी अग्निशमन केंद्र को भी दी जाए।