प्रधानमंत्री मोदी ने नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को किया समर्पित

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (रविवार) 28 मई 2023 को सुबह रायसीना हिल्स में स्थापित संसद के नए भवन का औपचारिक उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह की शुरुआत पूजा-अर्चना से की गई। इस दौरान पीएम मोदी के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी मौजूद रहे।

वहीं आज ही नए संसद भवन के उद्घाटन को चिह्नित करने के लिए, पीएम मोदी इस ऐतिहासिक अवसर पर 75 रुपये मूल्यवर्ग का सिक्का और डाक टिकट भीलॉन्च करने वाले हैं।

उद्घाटन समारोह में शामिल हुए तमिलनाडु के विभिन्न मठों के अदिनम

ज्ञात हो, नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले 27 मई 2023 की शाम को पीएम मोदी ने अपने आवास पर अदिनम संतों से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया था। इस दौरान अदिनम संतों ने पीएम मोदी को सेंगोल सौंपा था।

नए भवन में पवित्र राजदंड ‘सेंगोल’ की हुई स्थापना

प्रधानमंत्री ने आज नए भवन में पवित्र राजदंड ‘सेंगोल’ को स्थापित कर दिया है। इससे पहले पीएम मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हवन में हिस्सा लिया था। इस दौरान पीएम मोदी ने पवित्र सेंगोल को साष्टांग प्रणाम भी किया। पीएम ने इसे संसद के नए भवन में उद्घाटन समारोह के दौरान लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया है। नई संसद में पवित्र सेंगोल को मंत्रोच्चार के साथ स्थापित किया गया। सेंगोल को न्याय, सत्ता में कर्तव्य परायणता, सत्य और निष्ठा का प्रतीक माना गया है। सेंगोल तमिल भाषा के शब्द ‘सेम्मई’ से निकला है। इसका अर्थ धर्म, निष्ठा और सच्चाई होता है। सेंगोल राजदण्ड भारतीय शासक की शक्ति और अधिकार का प्रतीक रहा है।

नए संसद भवन की अनेक विशिष्टताओं में से एक विशिष्टता ये भी

यानी अब नए संसद भवन की अनेक विशिष्टताओं में एक विशिष्टता सेंगोल भी बन गया है। यह पांच फीट लंबा चांदी से बना दण्ड है। इस पर सोने की पॉलिश है। आठवीं सदी के बाद से लगभग आठ सौ वर्ष तक चोल साम्राज्य था। चोल साम्राज्य में सत्ता का हस्तांतरण इसी ‘सेंगोल’ से होता था। चोल शिव उपासक थे। विद्वान राजनेता सी. राजगोपालाचारी के सुझाव पर तमिलनाडु के तिरुवदुथुराई मठ ने इसे तैयार कराया था। इसके शीर्ष पर न्याय के रक्षक और प्रतीक नंदी अटल दृष्टि के साथ विराजमान हैं।

चोल साम्राज्य की प्राचीन परंपरा से जुड़ा नया संसद भवन

14 अगस्त 1947 को पं. जवाहर लाल नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से सेंगोल को स्वीकार किया था। उस दौरान ब्रिटिशों से सत्ता हस्तांतरण के लिए राजाजी ने चोल वंश के सत्ता हस्तांतरण से प्रेरणा लेने का सुझाव दिया था। चोल वंश में एक राजा से दूसरे राजा को सत्ता सौंपते समय पुजारियों का आशीर्वाद लिया जाता था और सेंगोल का प्रतीकात्मक हस्तांतरण भी होता था। आज नए संसद भवन के उद्घाटन पर इसी परंपरा को अपनाया गया है। चोल राजवंश वास्तुकला और संस्कृति के संरक्षण में असाधारण योगदान के लिए प्रसिद्ध था। इसी के साथ अब पूरा भारत नए संसद भवन की खूबसूरती के साथ चोल साम्राज्य की प्राचीन परंपरा से भी जुड़ गया है।

इस संबंध में पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा है-‘पूरा देश तमिलनाडु की गौरवशाली संस्कृति पर गर्व करता है। नए संसद भवन में इस महान राज्य की संस्कृति को गौरवान्वित होते देखना वास्तव में खुशी की बात है।’

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