रक्षा उद्योग को बड़ा बढ़ावा देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि रक्षा मंत्रालय के वार्षिक अनुसंधान और विकास बजट का 25% निजी कंपनियों और स्टार्ट-अप के लिए आरक्षित होगा। यह ऐसा कदम साबित होगा जो अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी विकसित करने पर सार्वजनिक क्षेत्र के एकाधिकार को तोड़ने में मदद करेगा।
घरेलू खरीद के लिए 68 फीसदी खर्च आरक्षित
भारतीय रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई उपायों की घोषणा करते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि इस साल बजट में पूंजीगत व्यय का करीब 68%, आयात में कटौती के उपायों के तहत घरेलू खरीद के लिए आरक्षित किया जाएगा। यह पिछले साल की तुलना में एक कदम आगे है, जब पूंजी बजट का 58% घरेलू खरीद के लिए तय किया गया था।
डीआरडीओ के साथ सहयोग करेगा निजी उद्योग
अनुसंधान के लिए सहयोगी मॉडल को बढ़ावा देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सिस्टम के संयुक्त विकास के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल मॉडल अपनाया जाएगा। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि “निजी उद्योग को एसपीवी मॉडल के जरिए डीआरडीओ के सहयोग से सैन्य उपकरणों को डिजाइन और विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।”
वित्त वर्ष-2023 के लिए पूंजीगत व्यय में 13% की वृद्धि
रक्षा क्षेत्र के लिए पूंजीगत व्यय परिव्यय वित्त वर्ष-2023 में 13% बढ़कर 1.52 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो वित्त वर्ष-2022 में 1.35 लाख करोड़ रुपये था, जबकि राजस्व और पेंशन व्यय स्थिर रहा है। कुल मिलाकर, रक्षा मंत्रालय का बजटीय आवंटन वित्त वर्ष 2023 में 9% बढ़कर 5.25 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो वित्त वर्ष 2022 में 4.7 करोड़ रुपये था।
इंडिपेंडेंट अंब्रेला बॉडी की स्थापना
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक मजबूत परीक्षण और प्रमाणन निकाय के लिए उद्योग से लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने की कोशिश की है। उन्होंने इस संबंध में घोषणा करते हुए कहा कि आने वाले वित्तीय वर्ष में इसके लिए एक इंडिपेंडेंट अंब्रेला बॉडी स्थापित की जाएगी। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), जियोस्पेशियल सिस्टम, ड्रोन, सेमीकंडक्टर्स और उनके इकोसिस्टम, स्पेस इकोनॉमी, जीनोमिक्स और फार्मास्युटिकल और क्लीन मोबिलिटी सिस्टम जैसी तकनीकों पर आधारित क्षेत्रों पर फोकस करने के लिए उन्हें हाईलाइट किया।
गौरतलब हो, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई नीतिगत घोषणाएं, 2014 से रक्षा क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों की एक श्रृंखला के अनुरूप हैं, जिसमें निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाले उद्योग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो निर्यात पर ध्यान केंद्रित करके प्रतिस्पर्धी उत्पादों की पेशकश कर सकता है।