महाशिवरात्रि विशेष: घर बैठे करें ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन

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मध्य प्रदेश के ‘ओम्कारेश्वर’ ज्योतिर्लिंग मंदिर पर आज 1 मार्च यानि मंगलवार के दिन ‘महाशिवरात्रि’ बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग खंडवा जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। इसका अपना महत्व है। ऐसे में ‘महाशिवरात्रि’ के मौके पर दर्शनाभिलाषियों को ”श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग” से जुड़ी विशेष जानकारी देने के साथ-साथ घर बैठे तस्वीरों के जरिए भगवान शिव के दर्शन भी कराए जा रहे हैं…

ज्योतिर्लिंग वह देवस्थान जहां स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए

ज्योतिर्लिंग वह देव स्थान कहलाते हैं, जहां पर स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए और ज्योतिर्लिंग शिवलिंग के रूप में आज भी विद्यमान है। ऐसे भगवान शिव के कुल द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं, जिनमें से एक है ”श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग”। सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम ओंकार का उच्चारण किया था, श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग उस ही ओंकार का स्वरूप है, जहां शिव ओंकार के रूप में प्रकट हुए हैं।

ओम्कारेश्वर में कुल 68 तीर्थ और 33 करोड़ देवी-देवता

पुराणों के अनुसार ओम्कारेश्वर में कुल 68 तीर्थ हैं, जहां 33 करोड़ देवी-देवता विद्यमान हैं। यहीं पर दिव्य रूप में 108 प्रभावशाली शिवलिंग स्थित हैं। कहते हैं कि प्रतिदिन तीनों लोकों का भ्रमण करने के पश्चात भगवान शिव यहां आकर विश्राम करते हैं। उस हेतु यहां विशेष शयन व्यवस्था एवं आरती का प्रबंध प्रतिदिन किया जाता है और शयन दर्शन भी होते हैं। नर्मदा नदी के उत्तर तट पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से 77 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

यहां श्रद्धालु इन मंदिरों के भी कर सकते हैं दर्शन

यहां आने वाले श्रद्धालु ममलेश्वर मंदिर, बृहदेश्वर मंदिर, पंचमुखी गणेश मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, गोविंदेश्वर मंदिर और गुफा, गुरुद्वारा ओम्कारेश्वर साहिब महाकालेश्वर मंदिर का भी दर्शन कर सकते हैं। जैसे उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ओम्कारेश्वर स्थित है, उसी प्रकार ओम्कारेश्वर मंदिर में नीचे द्वितीय तल पर महाकालेश्वर का मंदिर स्थित है। इंदौर से ट्रेन, बस किसी भी माध्यम से ओंकारेश्वर पहुंचा जा सकता है।

शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग ”श्री ओम्कारेश्वर”

शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग ”श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग” है। यह मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच मंधाता या ‘शिवपुरी’ नामक द्वीप पर स्थित है। नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर लोगों की चरम आस्था का केंद्र है।

श्रावण मास में ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम लेने से जुड़ी खास मान्यता

शिव पुराण में ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग को परमेश्वर लिंग भी कहा गया है। मान्यता है कि श्रावण मास में ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम भी लिया जाए तो सारी समस्याएं खत्म हो जाती है। यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। इस स्थान पर नर्मदा के दो धाराओं में बटी होने से बीच में एक टापू सा बन गया है जो कि ओम के आकार का है। इस टापू को ‘मंधाता पर्वत’ या ‘शिवपुरी’ कहते हैं।

क्यों कहकर पुकारा जाता है ‘ओम्कारेश्वर’

यह ज्योतिर्लिंग ‘ओमकार’ अर्थात ‘ओम का आकार’ लिए हुए है। इसी कारण से इसे ओम्कारेश्वर कहा जाता है। यहां ज्योतिर्लिंग दो स्वरूपों में मौजूद है जिनमें से एक को ”ममलेश्वर” के नाम से और दूसरे को ”ओम्कारेश्वर” के नाम से जाना जाता है। ममलेश्वर नर्मदा के दक्षिणी तट पर ओम्कारेश्वर से थोड़ी दूर स्थित है। अलग होते हुए भी इनका गणना एक ही की जाती है।

प्रचलित कथा

कथा है कि राजा मंधाता ने यहां नर्मदा किनारे इसी पर्वत पर घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था और शिव जी के प्रकट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान मांगा था। तभी से यह तीर्थनगरी ”ओमकार मंधाता” के रूप में पुकारी जाने लगी।

यहां की एक पौराणिक कथा धनपति कुबेर से भी जुड़ी हुई है। शिवभक्त कुबेर ने इस स्थान पर कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या के लिए कुबेर ने यहां एक शिवलिंग स्थापित किया था। भोले नाथ कुबेर की तपस्या से प्रसन्न हुए और धन का देवता बना दिया। यही नहीं शिवजी ने कुबेर के नहाने के लिए अपनी जटाओं के बाल से कावेरी नदी भी उत्पन्न की थी। यही नदी यहां नर्मदा में मिलती है।

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