देहरादून, बंजारावाला में महिला समूहों को धूप-अगरबत्ती बनाने का 05 दिवसीय प्रशिक्षण शुरू

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देहरादून में जिला प्रशासन द्वारा स्वयं सहायता समूह की आजीविका संवर्धन के लिए महिलाओं को धूप-अगरबत्ती बनाने का पांच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। देवभूमि के प्रसिद्ध ब्रांड भावना लक्जरी धूप के सह संस्थापक विकास उनियाल के माध्यम से टी-स्टेट, बंजारावाला में यह प्रशिक्षण शुरू कराया गया है। जिसमें महिलाओं को धूप-अगरबत्ती एवं पूजा सामग्री की ब्रांडिंग, पैकेजिंग एवं विपणन के हुनर सिखाए जा रहे है। जिला प्रशासन द्वारा चारधाम यात्रा के दौरान महिला समूहों द्वारा निर्मित प्रोडक्ट को आउटलेट के माध्यम से विपणन की व्यवस्था भी की गई है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विकासखण्ड सहसपुर से 05, डोईवाला से 11, विकासनगर से 03, चकराता से 01 और रायपुर से 05 स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है। बताते चले की भावना लक्जरी धूप के सह संस्थापक एवं प्रशिक्षक श्री उनियाल को केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा पूर्व में बेस्ट प्रोडक्ट डेवलपमेंट और जिले में एमएसएमई के अंतर्गत लघु उद्योग व्यवसाय में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा प्रथम पुरस्कार देकर सम्मानित किया जा चुका है।

मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने कहा कि जिले के कुछ विकास खण्डों में समूह की महिलाओं द्वारा काफी समय से धूप-अगरबत्ती बनाने का काम किया जा रहा है, परन्तु प्रशिक्षण के अभाव में समूह की महिलाए इस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पा रही थी, लेकिन इस 05 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण के बाद उन्हें, धूपबत्ती, अगरबत्ती बनाने के क्षेत्र में नए प्रयोग सीखने और देखने को मिलेंगे। इस तकनीकी के उपयोग से महिलाएं आगामी चारधाम यात्रा के दौरान धूपबत्ती, अगरबत्ती, हवन सामग्री इत्यादि की बिकी करते हुए अपनी आजीविका में वृद्धि कर सकती है। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को मंदिर के फूलों का प्रयोग करते हुए धूपबत्ती और बांस रहित अगरबत्ती एवं हवन सामग्री का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही प्रोडक्ट की उच्च गुणवत्ता की पैकेजिंग एंड  ब्रांडिंग  के हुनर भी  सिखाए  जा रहे है। विशेषज्ञों से प्रशिक्षण लेकर समूह की महिलाओं को इस व्यवसाय को समझने में आसानी होगी और आगे वे अपनी आजीविका में वृद्धि कर सकेंगी।

मुख्य विकास अधिकारी ने जिला मिशन प्रबंधक इकाई को निर्देशित किया कि एसएचजी महिलाओं को दिए जा रहे प्रशिक्षण के आउटकम पर विशेष ध्यान दिया जाए और प्रशिक्षण के बाद महिलाओं द्वारा निर्मित सामग्री को विभिन्न आउटलेट के माध्यम से विपणन करवाने के लिए आवश्यक सहयोग एवं व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए।