प्राकृतिक खेती सम्मेलन: पीएम ने कहा- गांवों में बदलाव लाने की क्षमता

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पीएम मोदी ने सूरत में आयोजित प्राकृतिक खेती सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृतिक खेती व्यक्तिगत लाभ के साथ ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ को भी साकार करती है। भारत के पास प्राकृतिक खेती का पुराना अनुभव रहा है और इस क्षेत्र में हम विश्व का नेतृत्व कर सकते हैं। वहीं इस सम्मेलन में हजारों ऐसे किसान और हितधारक शामिल हुए, जिन्होंने सूरत में प्राकृतिक खेती को अपनाया और सफलता हासिल की।

पीएम ने प्राकृतिक खेती के गिनाए लाभ

सम्मेलन में प्राकृतिक खेती के लाभ गिनाते हुए पीएम ने कहा कि इससे धरती माता की सेवा होती है। उसकी उत्पादकता की रक्षा होती है। इससे प्रकृति और पर्यावरण की सेवा होती है। इससे गौमाता की सेवा का सौभाग्य भी मिलता है। परंपरागत खेती को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयासों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे जुड़ी कृषि विकास योजना और भारतीय कृषि पद्धति कार्यक्रमों के जरिए आज किसानों को संसाधन, सुविधा और सहयोग दिया जा रहा है। इस योजना के तहत देश में 30 हजार क्लस्टर्स बनाए गए हैं। लाखों किसानों को इसका लाभ मिल रहा है।

प्राकृतिक खेती को नमामि गंगे परियोजना से जोड़ा गया

पीएम ने कहा कि पूरी दुनिया एक स्थायी जीवन शैली के बारे में बात कर रही है। उन्होंने कहा, “यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां भारत ने सदियों से दुनिया का नेतृत्व किया है, इसलिए अब समय आ गया है कि हम प्राकृतिक खेती के रास्ते पर आगे बढ़ें और उभर रहे वैश्विक अवसरों का पूरा फायदा उठाएं। उन्होंने पारंपरिक खेती के लिए संसाधन और प्रशिक्षण प्रदान करने वाली ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ जैसी योजनाओं के रूप में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों के बारे में भी बात की। लाखों किसानों के लाभ के लिए योजना के तहत पूरे देश में 30 हजार क्लस्टर बनाए गए हैं। 10 लाख हेक्टेयर को ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ के तहत कवर किया जाएगा। पीएम मोदी ने आगे कहा कि प्राकृतिक खेती को नमामि गंगे परियोजना से जोड़ा गया है क्योंकि गंगा नदी के किनारे एक प्राकृतिक कृषि गलियारा बनाने के लिए एक अलग अभियान चलाया गया है।

हमारे गांवों में देश में बदलाव लाने की क्षमता

कृषि उन्नति को देश की समृद्धि से जोड़ते हुए पीएम ने कहा कि हमारा जीवन, हमारा स्वास्थ्य, हमारा समाज सबके आधार में हमारी कृषि व्यवस्था ही है। भारत तो स्वभाव और संस्कृति से कृषि आधारित देश ही रहा है। इसलिए, जैसे-जैसे हमारा किसान आगे बढ़ेगा, जैसे-जैसे हमारी कृषि उन्नत और समृद्ध होगी, वैसे-वैसे हमारा देश आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि हमारे गांवों में देश में बदलाव लाने की क्षमता है। डिजिटल इंडिया मिशन की असाधारण सफलता इसका जवाब है। हमारे गांवों ने दिखा दिया है कि गांव न केवल बदलाव ला सकते हैं, बल्कि बदलाव का नेतृत्व भी कर सकते हैं।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि कुछ महीने पहले गुजरात में प्राकृतिक कृषि के विषय पर नेशनल कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ था। इस कॉन्क्लेव में पूरे देश के किसान जुड़े थे। आज एक बार फिर सूरत में यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम इस बात का प्रतीक है कि गुजरात किस तरह से देश के अमृत संकल्पों को गति दे रहा है। पीएम ने कहा कि आजादी के 75 साल के निमित्त, देश ने ऐसे अनेक लक्ष्यों पर काम करना शुरू किया है, जो आने वाले समय में बड़े बदलावों का आधार बनेंगे। अमृतकाल में देश की गति-प्रगति का आधार सबका प्रयास की वो भावना है, जो हमारी इस विकास यात्रा का नेतृत्व कर रही है।

गौरतलब हो कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत प्रधानमंत्री ने मार्च में गुजरात पंचायत महासम्मेलन में अपने संबोधन में प्रत्येक गांव के कम से कम 75 किसानों को खेती के प्राकृतिक तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया था। पीएम की इस परिकल्पना से प्रेरित, सूरत जिले ने किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने में मदद करने के उद्देश्य से विभिन्न हितधारकों और संस्थानों जैसे किसान समूहों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, कृषि उत्पाद विपणन समितियों (एपीएमसी), सहकारी समितियों, बैंकों आदि को संवेदनशील बनाने और प्रेरित करने के लिए ठोस पहल और समन्वित प्रयास किए।

प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम 75 किसानों की पहचान की गई और उन्हें प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित किया गया। किसानों को 90 विभिन्न समूहों में प्रशिक्षित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप जिले में 41 हजार से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया गया।

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