देश के 14वें उपराष्ट्रपति पद की ली शपथ, जानें कैसे रहा जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को जगदीप धनखड़ को देश के 14वें उप-राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। धनखड़ ने हिंदी में शपथ ली। राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित गरिमा पूर्ण समारोह में निवर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अनेक केंद्रीय मंत्री और गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

ऐसे की पहले दिन की शुरुआत

धनखड़ ने आज अपने दिन की शुरुआत राजघाट जाकर महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित कर की। नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त को पद की शपथ ली। इसी के साथ अब वे देश के 14वें उप-राष्ट्रपति बन गए। ज्ञात हो, उप-राष्ट्रपति, राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है।

उप-राष्ट्रपति पद के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन-एनडीए के उम्मीदवार धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मारग्रेट अल्वा को 346 मतों के बड़े अंतर से हराया। 6 अगस्त को हुए चुनाव में धनखड़ को 528 और मारग्रेट अल्वा को 182 मत मिले थे।

जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर

नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 में राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक किसान परिवार में हुआ। उन्होंने चितौड़गढ़ सैनिक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। भौतिक शास्त्र से स्नातक डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने राजस्थान से ही वकालत की डिग्री हासिल की।

1989 में पहली बार लोकसभा सांसद बने

राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने वकालत की। 1989 में वह पहली बार लोकसभा सांसद बने। झुंझुनू से ही उन्होंने लोकसभा की सीट जीती। वर्ष 1990 में वह संसदीय राज्य मंत्री बने। अजमेर जिले के किशनगढ़ विधानसभा से वर्ष 1993 में राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया।

केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहे

वैसे तो धनखड़ का राजनीतिक सफर वर्ष 1989 से शुरू हुआ था। उस वर्ष धनखड़ भाजपा के समर्थन से जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा चुनाव लड़े थे और इस चुनाव में वह जीत हासिल कर पहली बार संसद पहुंचे थे।

धनखड़ केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहे। जब जनता दल का विभाजन हो गया, तो वह पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के खेमे में चले गए। बाद में उन्होंने कांग्रेस जॉइन किया। धनखड़ को कांग्रेस ने अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़ाया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के बाद धनखड़ वर्ष 2003 में भाजपा में शामिल हुए।

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