रक्षामंत्री ने राष्ट्र को सौंपा डिस्ट्रॉयर ‘विशाखापट्टनम’, नौसेना की बढ़ी समुद्री ताकत

National News

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को प्रोजेक्ट 15बी का पहला स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक जहाज ‘विशाखापट्टनम’ भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया। उन्होंने कहा कि आज हम भूमंडलीकरण के युग में रह रहे हैं। व्यापार के क्षेत्र में प्रायः सभी राष्ट्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं। ऐसे में स्थिरता, आर्थिक प्रगति और दुनिया के विकास के लिए नेविगेशन की नियम आधारित स्वतंत्रता, समुद्री गलियारों की सुरक्षा पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। आने वाले समय में भारत न केवल अपनी जरूरतों के लिए, बल्कि दुनियाभर की जरूरतों के लिए भी जहाज निर्माण करेगा।

उन्होंने कहा कि इंडो पैसिफिक क्षेत्र से पूरी दुनियाभर का दो तिहाई से अधिक ऑयल शिपमेंट होता है, एक तिहाई बड़े कार्गो और आधे से अधिक कंटेनर यातायात गुजरते हैं। यानी यह क्षेत्र पूरी दुनिया के लिए मुख्य मार्ग की भूमिका निभाता है। आज जब मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (एमडीएसएल) द्वारा निर्मित ‘आईएनएस विशाखापट्टनम’ को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है तो इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है कि आने वाले समय में भारत न केवल अपनी जरूरतों के लिए, बल्कि दुनियाभर की जरूरतों के लिए भी जहाज निर्माण करेगा। मुझे बताया गया है कि यह स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक जहाज पूरी तरह स्वदेशी है। जहाज निर्माण के क्षेत्र में हमारी यही ‘आत्मनिर्भरता’ किसी समय पूरी दुनिया भर में हमारी पहचान का एक प्रमुख कारण बनेगी।

रक्षामंत्री ने कहा कि युद्धपोत में इस्तेमाल की गई तकनीक न केवल आज की, बल्कि भविष्य की जरूरतों पर भी खरी उतरेगी। इसका नौसेना के बेड़े में शामिल होना हमारे प्राचीन और मध्यकालीन भारत की समुद्री शक्ति, जहाज निर्माण कौशल और उसके गौरवमयी इतिहास की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में हम ऐसे नियम आधारित, नेविगेशन की स्वतंत्रता, मुक्त व्यापार और सार्वभौमिक मूल्य वाले भारत-प्रशांत की कल्पना करते हैं, जिसमें सभी भागीदार देशों के हित सुरक्षित रह सकें। इस क्षेत्र की सुरक्षा में हमारी नौसेना की भूमिका और अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है। आज वैश्विक सुरक्षा कारणों से दुनिया भर के देश अपनी सैन्य ताकत आधुनिक और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसलिए सैन्य साजो-सामान की मांग लगातार बढ़ रही है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि 2023 तक दुनिया भर में सुरक्षा पर होने वाला खर्च 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने वाला है। इसलिए भारत के पास अपनी क्षमताओं का पूरी तरह इस्तेमाल करके देश को स्वदेशी जहाज निर्माण केंद्र बनाने का मौका है। ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहल के साथ जुड़कर नौसेना ने वर्ष 2014 में 76% एओएन और 66% लागत-आधार अनुबंध भारतीय विक्रेताओं को दिए हैं। इसके अलावा नौसेना के गोला-बारूद का 90% स्वदेशीकरण हुआ है। हमारी नौसेना के लिए बनाए जा रहे 41 जहाज़ों और पनडुब्बियों में से 39 भारतीय शिपयार्ड से हैं। यह नौसेना की ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। रक्षामंत्री ने कहा कि स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ का विकास भी नौसेना की आत्मनिर्भरता की राह में एक मील का पत्थर है।

आईएनएस विशाखापट्टनम के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन बीरेंद्र सिंह बैंस ने बताया कि प्रोजेक्ट पी15 बी के इस जहाज के नौसेना बेड़े में शामिल होने से भारत की समुद्री ताकत काफी बढ़ेगी। इसे ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत 75 फीसदी स्वदेशी उपकरणों से बनाया गया है। हालांकि जहाज के ऑनबोर्ड मशीनरी, विभिन्न सहायक, हथियार प्रणालियों और सेंसर में सुधार किया गया है लेकिन इसके नौसेना में शामिल होने के बाद भी कुछ और परीक्षण जारी रहेंगे। आईएनएस विशाखापट्टनम को भारत में बने सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जा रहा है। इसे नौसेना डिजाइन निदेशालय ने डिजाइन किया था, जबकि मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड ने इसका निर्माण किया है।

हवाई हमले से बचने के लिए आईएनएस विशाखापट्टनम को 32 बराक-8 मिसाइल से लैस किया गया है। यह मिसाइल सतह से हवा में मार करती है जिसका इस्तेमाल विमान, हेलिकॉप्टर, एंटी शिप मिसाइल, ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और लड़ाकू विमान को नष्ट करने के लिए किया जाता है। जहाज को 16 ब्रह्मोस मिसाइल से भी लैस किया गया है। जहाज की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और वजन 7400 टन है। यह जहाज शक्तिशाली संयुक्त गैस प्रणोदन के साथ 30 समुद्री मील से अधिक की गति से चल सकता है। इसकी अधिकतम रफ्तार 55.56 किलोमीटर प्रतिघंटा है। इसे चार गैस टर्बाइन इंजन से ताकत मिलती है। इस जहाज से दो हेलीकॉप्टरों का भी संचालन किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *