देश के पूर्वोत्तर राज्य बेशुमार खूबसूरती एवं प्राकृतिक संसाधनों से भरे हैं। हर किसी का मन इन राज्यों की खूबसूरती को देखकर मचल पड़ता है लेकिन बीते 70 साल की अपेक्षाओं के कारण पूर्वोत्तर राज्य देश के बाकी राज्यों से काफी पीछे रह गया। यहां सही समय पर रोड, रेल और एयर कनेक्टिविटी नहीं पहुंच पाई, आधारभूत संरचनाओं का विकास नहीं हो पाया। इस वजह से स्थानीय लोगों को समस्याएं तो हुईं ही इसके दुष्परिणाम यह भी हुए की देश के बाकी राज्यों से लोगों का आवागमन इन राज्यों में बहुत कम हो सका। पिछले 8 साल में केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर राज्य विकास की नई इबारत लिख रहा है। भारत सरकार की दर्जनों परियोजनाएं पूरी हो चुकी है और इनमें से कई मौजूदा दौर में अबाध गति से जारी है इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए कृषि मंत्रालय के द्वारा नागालैंड के दीमापुर में हनी टेस्टिंग लैब की शुरुआत की गई है जहां पर शहद की गुणवत्ता बेहतर ढंग से जांची परखी जा सकती है। आइए बताते हैं क्या है हनी टेस्टिंग लैब की विशेषता और किसानों के लिए यह होगी कितनी मददगार…
हनी टेस्टिंग लैब
हनी टेस्टिंग लैब की सहायता से शहद एवं मधुमक्खी पालन के अन्य उत्पादों की गुणवत्ता को आसानी से परखा जा सकता है। इससे यह होगा कि उत्पादकों को शहद की गुणवत्ता पता चल पाएगी एवं उपभोक्ता अपनी इच्छानुसार बेहतर शहद खरीद पाएंगें। केन्द्र सरकार के द्वारा शहद प्रशिक्षण प्रयोगशाला परियोजना की शुरुआत राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के अंतर्गत की गई है जिससे शहद के बाजार को और बड़ा किया जा सके और लोगों को बेहतर क्वालिटी का शहद मिल सके।
मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन
भारत सरकार ने शहद मिशन की घोषणा 2017 में की थी जिसके तहत देश में शहद की स्थिति सुधारने और मधुमक्खी पालन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था। इस मिशन का लक्ष्य वैज्ञानिक पद्धति से मधुमक्खी पालन और संवर्धन के उद्देश्य से किया गया था। राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं मधु मिशन के लिए मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण हेतु चार माड्यूल बनाए हैं जिसके माध्यम से देश में 30 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। इन्हें सरकार द्वारा वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करवाई जाती है।
किसानों की आय बढ़ाना है सरकार का मकसद
सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं बात चाहे कृषि की हो, मत्स्य पालन की या मधुमक्खी पालन की, सरकार हर दिशा में यह प्रयास कर रही है कि कैसे किसानों की आय को बढ़ाया जा सकता है। मधुमक्खी पालन परंपरागत कृषि से थोड़ा भिन्न है लेकिन सरकार के निरंतर सहयोग से मधुमक्खी पालकों को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है जिससे उनके आर्थिक हालात मजबूत रहें।
इसकी शुरुआत करने के दौरान केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा की सरकार उत्तर पूर्व के चौमुखी विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इसलिए सरकार की योजनाओं, कार्यक्रमों, फंडिंग और संसाधनों के माध्यम से हमारे निरंतर प्रयास रहता है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र किसी पर निर्भर न हो बल्कि अपने पैरों पर खड़ा हो। जाहिर है बीते 8 वर्षों में केंद्र सरकार की योजनाओं का असर उत्तर पूर्व के राज्यों में बखूबी दिखा है और इस वजह से आज इन सभी राज्यों में रेल, रोड और एयर कनेक्टिविटी के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कई काम हुए हैं। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का सपना है कि अगर पूर्वोत्तर की ताकत बढ़ेगी तो देश की ताकत बढ़ेगी और इसी ताकत से देश आगे बढ़ेगा।