यूपी के किसान जल्द करेंगे खेतीबाड़ी में ड्रोन का प्रयोग, राज्य सरकार को जल्द मिलेंगे 32 ड्रोन

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तकनीक का प्रयोग हर तरह की खेती में काफी लाभकारी है। खेतीबाड़ी में ड्रोन तकनीक ऐसी ही एक अद्यतन तकनीक है। खेती किसानी में ड्रोन के प्रयोग को एक क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है। केंद्र सरकार भी किसानों को ड्रोन का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। उत्तर प्रदेश के किसान भी शीघ्र ही खेतीबाड़ी में ड्रोन का प्रयोग कर सकेंगे। आज के समय में ड्रोन का प्रयोग कर किसानकम लागत में ज्यादा उपज कर सकता है। ड्रोन के जरिये किसान एक एकड़ खेत में कीटनाशकों, वाटर सॉल्युबल (पानी में घुलनशील) उर्वरकों एवं पोषक तत्वों का सिर्फ सात मिनट में छिड़काव कर सकते हैं। इससे समय एवं संसाधन तो बचेगा ही, मैनुअल (व्यक्ति द्वारा हाथ से ) छिड़काव से होने वाले संबंधित व्यक्ति को जहरीले रसायनों के खतरे से मिलने वाली सुरक्षा बोनस के रूप में होगी।
 

राज्य सरकार को जल्द मिलेंगे 32 ड्रोन

केंद्र सरकार की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार को कुल 32 ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इनमें से चार कृषि विश्वविद्यालयों को, 10 कृषि विज्ञान केंद्रों और बाकी 18 आईसीएआरआई (इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट) के संस्थानों को मिलेंगे। इनको खरीदने के लिए केंद्र सरकार की ओर से पांच करोड़ 60 लाख रुपये की धनराशि अवमुक्त कर दी गई है। इनके जरिए प्रदेशभर में कुल आठ हजार हेक्टेयर भूमि पर डिमांस्ट्रेशन कराया जाना है।
 
 

40 से 50 फीसद अनुदान पर मिलेंगे ड्रोन

खेतीबाड़ी के उपयोग के लिए ये ड्रोन प्रदेश के कृषि स्नातकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर, कृषि उत्पादन संगठनों (एफपीओ) एवं कोऑपरेटिव सोसाइटीज को 40 फीसद अनुदान पर मिलेंगे। इस तरह किसी कृषि स्नातक को लगभग 10 लाख रुपये मूल्य के इस ड्रोन के लिए केवल 5 लाख रुपये चुकाने होंगे।
 
 

ड्रोन चलाने के लिए प्रदेशभर में होगा डिमांस्ट्रेशन

 
पिछले दिनों कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की मौजूदगी में सैकड़ों किसानों के समक्ष लखनऊ में ड्रोन का डिमांस्ट्रेशन (प्रदर्शन)देखा गया। तब कृषि मंत्री ने कहा कि इससे होने वाले लाभ के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए शीघ्र ही पूरे प्रदेश में इस तरह के डिमांस्ट्रेशन कराए जाएंगे।
 
 

सुरिक्षत है ड्रोन से छिड़काव

इफको के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. डीके सिंह के मुताबिक ड्रोन से उन फसलों में भी छिड़काव संभव है, जिनमें आकार बड़ा होने के नाते सामान्य तरीके से छिड़काव में दिक्कत आती है। साथ ही इन फसलों में छिड़काव करने वाला भी रसायन के दुष्प्रभाव से असुरक्षित होता है। मसलन गन्ना, अरहर आदि। नैनो यूरिया का छिड़काव बोआई के 30-40 दिन बाद जब खेत फसल से पूरी तरह आच्छादित होता है तब करते हैं। ड्रोन से जो छिड़काव होता है, उसके ड्रापलेट्स (बूंदे) बहुत महीन तकरीबन मिस्ट (ओस की बूंद) जैसी होती हैं। लिहाजा पानी में घुलनशील फर्टिलाइजर की तुलना में पानी भी प्रति एकड़ एक चौथाई (25 लीटर) ही लगता है। खड़ी फसल पर छिड़काव होने के नाते इसका असर जमीन तक नहीं पहुंचता लिहाजा यूरिया की लीचिंग (रिसाव) से जल, जमीन को होने वाली क्षति भी नहीं होती। नैनो यूरिया के साथ पानी में घुलनशील जितने तरह के उर्वरक हैं, उनको भी फसल की जरूरत के अनुसार मिलाया जा सकता है।

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