डेयरी उद्योग से जुड़े किसान अपने पशुओं के स्वास्थ्य और इलाज से संबंधित समस्या को लेकर चिंतित रहते हैं। इसी समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने किसान के घर पर पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए योजना की शुरुआत की है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कर्नाटक में मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों का शुरुआत की। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार के ‘पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम’ के अंतर्गत पशुधन और कुक्कुट के विभिन्न रोगों के खिलाफ टीकाकरण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन, क्षमता निर्माण, रोग निगरानी और पशु चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम
पीएम मोदी ने सितम्बर 2019 को देश में पशुओं के लिए पीएम पशुधन योजना रोग नियंत्रण शुरू की। प्रधानमंत्री पशुधन रोग नियंत्रण योजना में विशेष तौर पर पशुओं में होने वाली साधारण बीमारियां जैसे की फुट एंड माउथ डिजीज के मामले में प्राथमिक टीकाकरण के साथ टीकाकरण कवरेज की परिकल्पना की गई है। अब तक का यह कार्यक्रम केंद्र और राज्य सरकारों के बीच लागत साझाकरण के आधार पर लागू किया गया है। केंद्र सरकार ने देश में सभी पशुधन पालन किसानों के लिए इन बीमारियों के पूर्ण उन्मूलन और बेहतर आजीविका के अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए अब कार्यक्रम की पूरी लागत वहन करने का निर्णय लिया है।
योजना के बारे में जानकारी
मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों केंद्रीय क्षेत्र की योजना “पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण” के तहत घटक मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों के माध्यम से किसानों के घर पर पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। सेवाओं को राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों में कॉल सेंटरों के माध्यम से संचालित किया जाएगा। किसी भी आपात स्थिति में किसान इन कॉल सेंटरों पर कॉल करेंगे और आपात स्थिति को प्राथमिकता देने के बाद, निदान और उपचार के लिए सेवाएं पशु चिकित्सक और पैरा-पशु चिकित्सक मोबाइल की एक टीम द्वारा प्रदान की जाए।
आवंटित हुए 54.75 करोड़ रुपए
योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए 54.75 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। योजना के शुरुआती चरण में 290 मोबाइल पशु चिकित्सा वाहनों को मंजूरी दी गई है। 16 लाख रुपये प्रति वाहन की दर से 275 नई पशु चिकित्सा सेवाओं से लैस वाहनों की खरीद के लिए 44 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। शेष 15 पहले से मौजूद पशु संजीवनी वैन का उपयोग 290 आवश्यक वाहनों के मिलान के लिए किया जाएगा। आवंटित की गई राशि को केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा 60:40 के अनुपात में वहन किया जाएगा। भारत सरकार 290 वाहनों की परिचालन लागत के लिए 32.57 करोड़ रुपए जारी करेगी और शेष 28.15 करोड़ रुपए राज्य सरकार के द्वारा वहन किया जाएगा।
कॉल सेंटर से संचालित होंगी चिकित्सा सेवाएं
सेवाओं को राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों में कॉल सेंटरों के माध्यम से संचालित किया जाना है। मोबाइल पशु चिकित्सा वाहनों का उपयोग करने के लिए किसानों और डेयरी मालिकों द्वारा टोल फ्री पशु हेल्पलाइन नंबर 1962 का उपयोग किया जाएगा। किसी भी आपात स्थिति में किसान इन कॉल सेंटरों पर कॉल कर अपनी आपात स्थिति की प्राथमिकता के अनुसार सहायता ले सकेंगे। समस्या के निदान और उपचार के लिए सेवाएं इन मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों में पशु चिकित्सक और पैरा-पशु चिकित्सक की एक टीम द्वारा प्रदान की जाएंगी।